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कुशावर्त

भगवान दत्तात्रेय का अवतरण दिवस धूमधाम से मनाया
हरिद्वार।
कुशावर्त घाट (कुशाघाट)स्थित श्रीदत्तात्रेय शिव मंदिर में भगवान दत्तात्रेय का अवतरण दिवस धूमधाम के साथ मनाया गया। मंदिर के पुजारी धर्मानन्द कोठारी ने बताया कि भगवान दत्तात्रेय ब्रह्मा, विष्णु, महेश के संयुक्त अवतार हैं।आजीवन ब्रह्मचारी रहे भगवान दत्तात्रेय, सम्पूर्ण भूमण्डल पर जनकल्याणार्थ विचरण करते रहे। इन्होंने अपने जीवन में 24 गुरुआें को धारण किया, जिनमे पृथ्वी,जल,वायु,अग्नि,आकाश, सूर्य, चन्द्रमा, समुद्र, अजगर, कपोत, पतंगा, मछली, हिरण, हाथी, मधुमक्खी, शहद निकालने वाला कुरर पक्षी, कुमारी कन्या, सर्प, बालक, पिला वैश्या, बाण बनाने वाला, मकड$ी, भृगुं कीट। सभी से इन्होंने कुछ न कुछ शिक्षा ग्रहण की। भगवान दत्तात्रेय ने दस हजार वर्षों तक एक पैर में खड$े रहकर, कुशावर्त घाट हरिद्वार में कठोर तप भी किया था। उसी समय मां गंगा का पृथ्वी पर अवतरण हुआ और वह उनके कुशनिॢमत आसन आदि को बहाकर ले जाने लगी। इससे क्रुद्ध होकर जब भगवान दत्तात्रेय मां गंगा को श्राप देने को उद्यत हुए तो मां गंगा ने उनके आसनादि को अपनी धारा को मोड$कर वापस उसी स्थान पर छोड गयी। चूँकि मां गंगा के द्वारा आसनादि को छोड$ने हेतु अपनी धारा को मोड$ा(आवॢतत)किया गया था अत: इस स्थान का नाम भगवान दत्तात्रेय के द्वारा कुशावर्त ही रख दिया गया। जिसका स्पष्ट वर्णन स्कन्द पुराण के केदार खण्ड के अध्याय 1१२ में इस प्रकार आया है। आवर्तनाद्यतो गा कुशान् धृतवती मम। कुशावर्तमिति ख्यातं तीर्थमेतद् भविष्यति॥ इससे यह भी सिद्ध होता है कि यह स्थान एक पौराणिक सिद्ध पीठ है। भगवान दत्तात्रेय अपने भक्तों की अभिलाषाआें को शीघ्र ही पूर्ण करने वाले हैं।अत: इनका पूजन मानवमात्र के लिये परम कल्याण कारक है। इस अवसर पर तीर्थ पुरोहित समाज के सौजन्य से एक भण्डारे का भी आयोजन किया गया।आयोजन कर्ताआें में प्रमुख, शिवम मिश्र, पण्डित अजय पाराशर, अभिषेक सिखौला, पण्डित कपिल पाराशर, वासु पाराशर आदि रहे। इस अवसर पर डा. दीपक कोठारी, घनश्याम कोठारी, कैलाश पाठक, भूपेश पाठक, देवेन्द्र पाटनी, चन्द्रा पाटनी, कमला कोठारी आदि अनेकों गणमान्य पूजनादि में सम्मिलित हुए।

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