उत्तराखंड हरिद्वार

हरिद्वार में स्वास्थ्य संकट: सरकारी अस्पताल PPP मोड पर, निजी अस्पतालों में लापरवाही से मौतों का सिलसिला जारी

हरिद्वार।

वर्षों से हरिद्वार की जनता एक बड़े सरकारी अस्पताल की प्रतीक्षा कर रही थी, लेकिन जब यह सपना साकार हुआ तो राज्य सरकार ने इसे स्वास्थ्य विभाग के बजाय पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप (PPP) मोड पर सौंप दिया, जिससे स्थानीय निवासियों में गहरा असंतोष फैल रहा है।

नगर निगम की पूर्व मेयर अनिता शर्मा ने अपने कार्यकाल (2018-2023) के दौरान बोर्ड में प्रस्ताव पारित करवाकर नगर निगम की सैकड़ों बीघा मूल्यवान भूमि राज्य सरकार को अस्पताल निर्माण के लिए सौंपी थी। लगभग 640-700 करोड़ रुपये की लागत से चार वर्षों में तैयार हुए इस गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज और अस्पताल को PPP मोड में स्थानांतरित करने के फैसले पर छात्रों और स्थानीय लोगों ने विरोध प्रदर्शन किए, जिसमें एमबीबीएस छात्रों ने अनिश्चितकालीन हड़ताल की थी।
उल्लेखनीय है कि हरिद्वार में कोई भी अस्पताल इतना सक्षम नहीं है जो बड़े मामलों को संभाल सके। जिला अस्पताल से गंभीर रोगियों को उच्च केंद्रों में रेफर कर दिया जाता है, जबकि निजी अस्पताल इलाज के नाम पर आम जनता को ठग रहे हैं—न तो उनके पास विशेषज्ञ डॉक्टर हैं और न ही गंभीर बीमारियों या घायलों के इलाज की सुविधाएं। परिणामस्वरूप, जिले के निवासियों को इलाज के लिए देहरादून, दिल्ली या अन्य शहरों का रुख करना पड़ता है।
हाल ही में एक निजी अस्पताल में गलत इलाज के कारण एक 40 वर्षीय कंपनी कर्मचारी की मौत हो गई, जिसके बाद अस्पताल में जमकर हंगामा हुआ और प्रशासन ने अस्पताल को सील कर दिया। यह मामला कोई नया नहीं है; जिले के अस्पतालों में ऐसी घटनाएं रोजाना हो रही हैं, लेकिन स्वास्थ्य विभाग और सरकार के कानों पर जूं नहीं रेंगती। अगस्त में भी दो महिलाओं की प्रसव के बाद मौत हो गई, जिसके बाद एक अन्य निजी अस्पताल को सील किया गया। एक अन्य घटना में 19 वर्षीय युवती की मौत पर लापरवाही का आरोप लगा। जनता मर रही है, लेकिन राजनीति वोट बैंक और नोट बैंक पर केंद्रित है। स्थानीय निवासी मांग कर रहे हैं कि सरकारी अस्पताल को स्वास्थ्य विभाग के अधीन किया जाए और निजी अस्पतालों पर सख्त कार्रवाई हो। सरकार की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, लेकिन यह मुद्दा स्थानीय राजनीति में गर्माया हुआ है। पूर्व मेयर अनिता शर्मा, जो कांग्रेस से जुड़ी हैं, ने पहले भी अस्पताल निर्माण में देरी पर सवाल उठाए थे । जानकारों का कहना है कि PPP मोड स्वास्थ्य सेवाओं को महंगा बना सकता है, जो गरीब जनता के लिए हानिकारक है। हालाँकि अभी हॉस्पिटल मे चिकित्सा सेवाएं आरम्भ नहीं हुई है, लेकिन जनता को चिंता है कही अब भी ठगी न रह जाये। ppp मोड पर दिये जाने के दौरान मेडिकल के छात्रों के समर्थन मे यूथ कांग्रेस ने भी ppp मोड़ का विरोध किया था। गत माह सत्ताधारी भाजपा के रानीपुर विधायक आदेश चौहान ओर हरिद्वार की महापौर किरण जैसल ने भी मुख्यमंत्री धामी जी को पत्र सौंप कर हरिद्वार मे स्वास्थ्य सेवाएं मजबूतबकारने के लिए ppp  मोड़ हटाने की मांग की थी। लेकिन उसके बाद दोबारा न तो इसका कोई बयान आया न ही मांग को अन्य भाजपा नेताओं व जनप्रतिनिधियों से समर्थन मिला, ओर मामला ठंडे बस्ते मे चला गया है।

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