पेड़ों पर पेड़ कट रहे हरा कबूतर (green man) चिपको आंदोलन की रॉयल्टी खाने के चक्कर मे
हरिद्वार।
अमरापुर घाट से सिंहद्वार तक ढाई किलोमीटर लंबी नहर पटरी पर प्रस्तावित अर्बन घाटों के निर्माण की तैयारी के साथ ही अब विकास और पर्यावरण सुरक्षा का सवाल भी तेज हो गया है। डमकोठी अमरापुर घाट से सिंहद्वार तक की इस घाट परियोजना ने नहर पटरी की हरी पट्टी को पूरी तरह निगलने की तैयारी कर ली है।
दरअसल, दशहरा से दीपावली के बीच नहर बंदी के दौरान जलदबाजी में उत्तराखंड सिंचाई विभाग ने नहर पटरी के किनारे घाट निर्माण के लिए फाउंडेशन डाल दिया। जगह-जगह दूसरे छोर पर पड़ी मिट्टी अभी तक मेला प्रशासन की ओर से कोई कार्रवाई नहीं की गई है।
इस घाट परियोजना के चलते नहर किनारे लगाए गए 700 से अधिक पूर्ण विकसित पेड़ों की बलि चढ़ने की स्थिति बन गई है। इनमें से 170 से ज्यादा पेड़ों की जड़ें भारी मात्रा में काटी जा चुकी हैं। शंकराचार्य चौक से सीसीआर तक हाईवे चौड़ी करने के नाम पर भी पेड़ों पर भारी पड़ रहा है।
स्थानीय लोग और पर्यावरण प्रेमी इसे धर्मनगरी हरिद्वार की सुंदरता और ग्रीन जोन को खत्म करने की साजिश बता रहे हैं।
पर्यावरण प्रेमी और स्थानीय लोग सवाल उठा रहे हैं कि जब अनुमति ही नहीं मिली थी, तो पेड़ों की जड़ें क्यों काटी गईं? और बिना अनुमति के फाउंडेशन डालने की जल्दबाजी क्यों की गई?
फिलहाल धर्मनगरी की हरियाली पर मंडराता यह खतरा अब आंदोलन का रूप लेने की कगार पर है। लोग सवाल कर रहे हैं कि क्या कुंभ मेला और घाटों के नाम पर हरिद्वार का फेफड़ा (ग्रीन बेल्ट) खत्म कर दिया जाएगा?
उल्लेखनीय है कि पिछले दो सालों से धर्म नगरी हरिद्वार में एक कथित ग्रीन मां के नाम से हरा कबूतर सक्रिय नजर आता है लेकिन उसकी सक्रियता केवल भीड़ दिखाकर मीडिया की सुर्खियां बटोरने तक ही सीमित है ना तो उसने आज तक पिछले दो सालों में हरिद्वार में काटे गए अवैध रूप से पेड़ों का कभी विरोध किया ना ही वह कहीं पर्यावरण बचाओ के लिए धरातल पर उतरता नजर आया। ऐसे छपास के रोगी पर्यावरण प्रेमी को हरिद्वार की कथित समाजसेवी गैंग ने अपने सिर पर चढ़ाकर ताज दिलवाने
















































