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300ग्राम से अधिक ड्रग्स के साथ महिला सहित चार गिरफ्तार, जाने कैसे करते थे ड्रग्स का कारोबार

हरिद्वार।
ड्रग फ्री देवभूमि मिशन 2025” के अंतर्गत लगने वाली चौपाल का असर अब गहरा होकर रंग लाने लगा है। एक और जहां नशे पर लगाम लगाने के लिए उत्तराखंड पुलिस लगातार प्रयास कर रही है, वहीं दूसरी ओर आम जनता भी नशे के खिलाफ खड़ी हो चुकी है। इसी क्रम में बीते रोज एसएसपी प्रमेन्द्र डोबाल को गुप्त सूत्र के माध्यम से स्मैक की बड़ी डील होने की जानकारी मिली। इस जानकारी को साझा करते हुए एसएसपी द्वारा सीओ ज्वालापुर शांतनु पाराशर को कोतवाली ज्वालापुर एवं A.N.T.F. की संयुक्त टीम गठित करते हुए डील में शामिल हो रहे सभी तस्करों को दबोचने के कड़े निर्देश देते हुए मॉनिटरिंग का जिम्मा खुद अपने हाथ में लिया गया था।
संयुक्त टीम ने आपस में अच्छा तालमेल दिखाते हुये काफी समय से पुलिस की रडार पर चल रहे रईस उर्फ गोलू, शहजाद उर्फ गड्डी के साथ-साथ आरोपी दंपत्ति को दबोचकर उनके कब्जे से कुल 308 ग्राम स्मैक, 14 हजार नगदी, डिजिटल तराजू एंव डील के दौरान प्रयोग की गई i20 कार बरामद की। आरोपी दंपत्ति में से कथित पति अभिषेक कुछ समय पूर्व ही N.D.P.S ACT में जमानत पर रिहा हुआ था उसकी पत्नि N.D.P.S ACT के अभियोग मे पूर्व से वाँछित चल रही थी। बरामद माल के आधार पर कोतवाली ज्वालापुर में मुकदमा दर्ज किया गया।
वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक ने बताया कि
कुख्यात नशा तस्कर रईस उर्फ गोलू अपने साथी शहजाद उर्फ गड्डी के साथ बरेली से डिलीवरी प्राप्त कर i20 कार से यह स्मैक आरोपी दंपत्ति को देने आये थे। बताया कि पकड़ी गई महिला के कब्जे से 14 हजार की नगदी बरामद की गई जो स्मैक को फुटकर में बेचकर जोड़ी गई थी। आरोपी दंपत्ति स्मैक मंगाकर उसे छोटी-छोटी मात्रा मे नशा करने वालो व स्कूली बच्चो को अच्छे दाम पर बेचते थे।
दंपत्ति ने नशा सामग्री बेचकर वर्ष 2020 में सुभाषनगर में एक घर खरीदा था जो पति अभिषेक के नाम पर है। शैक्षिक योग्यता की बात करें तो शहजाद 10वीं फेल है और रईस अनपढ़। नशा तस्कर दंपत्ति में पति 10वीं पास है और पत्नी 10वीं फेल है। वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक ने बताया कि पकड़े गए चारों आरोपियों का अपराधिक इतिहास कंगाल जा रहा है बताया कि नशे के विरुद्ध उत्तराखंड पुलिस लगातार अपराधियों में कस रही है वही ऑपरेशन में शामिल हुई पुलिस टीम को 10 रुपए के इनाम की घोषणा भी की गई है।
महिला को आगे रख कर करते थे ड्रग का कारोबार
बातचीत के दौरान बताया कि अपराध में शामिल महिला अपराधियों के बचाओ का बड़ा माध्यम थी। महिला की आड़ में ड्रग्स का ट्रांसपोर्टेशन भी किया जाता था जिससे कई बार वह पुलिस की नजरों से भी बचे होंगे क्योंकि सामान्य पुलिस महिलाओं की तलाशी नहीं लेती उसके लिए महिला पुलिस कहो ना आवश्यक होता है। 

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