हरिद्वार।
बाबा हठयोगी महाराज ने कहा है कि गुरु शिष्य परंपरा भारतीय संस्कृति की महान पद्धति है। जो पूरे विश्व में भारत का एक अलग स्थान बनाती है और संतों ने विश्व पटल पर देवभूमि उत्तराखंड का जो रूप प्रस्तुत किया है, वह सराहनीय है। भूपतवाला स्थित श्री राम निकेतन धाम में गुरुजन स्मृति समारोह के दौरान श्रद्धालु भक्तों को संबोधित करते हुए बाबा हठयोगी महाराज ने कहा कि देवभूमि उत्तराखंड संत महापुरुषों की तपस्थली है। जहां आने वाले प्रत्येक श्रद्धालु भक्त का कल्याण अवश्य ही निश्चित है। चार धाम का महत्व यहां की परिपाटी को और ज्यादा धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण बनाता है। स्वामी ज्ञानानंद शा ी महाराज विद्वान एवं तपस्वी महापुरुष हैं। जो अपने ज्ञान और विद्वत्ता के माध्यम से समाज का मार्गदर्शन कर भारतीय संस्कृति और सनातन धर्म का प्रचार प्रसार कर संतों की सेवा कर रहे हैं। चेतन ज्योति आश्रम के अध्यक्ष स्वामी ऋषिश्वरानंद महाराज ने कहा कि संत परंपरा सनातन संस्कृति की वाहक है और महापुरुषों का जीवन सदैव ही लोक कल्याण के लिए समर्पित रहता है। स्वामी ज्ञानानंद शा ी महाराज अपने पूज्य गुरुदेव के आदर्शो को अपनाकर और उनके बताए मार्ग का अनुसरण करते हुए उनके अधूरे कार्यों को पूर्ण कर रहे हैं। यही एक सुयोग्य शिष्य की पहचान है। संतो के जीवन से प्रेरणा लेकर सभी को राष्ट्र निर्माण में अपना योगदान प्रदान करना चाहिए। कार्यक्रम में पधारे सभी संत महापुरुषों का आभार व्यक्त करते हुए स्वामी ज्ञानानंद शा ी महाराज ने कहा कि सभी को अपने गुरु के बताए मार्ग पर चलना चाहिए तभी व्यक्ति का कल्याण निश्चित है। क्योंकि गुरु ज्ञान का भंडार है। जो अपनी शरण में आने वाले प्रत्येक व्यक्ति का संरक्षण पर उसका जीवन भवसागर से पार लगाते हैं। गुरु के अधूरे कार्य को पूर्ण करना और संतों की सेवा करते हुए गौ सेवा और गंगा संरक्षण का संदेश देना। यही उनके जीवन का मूल उद्देश्य है। इस अवसर पर स्वामी रामजी महाराज, महंत कृष्णदेव महाराज, महंत दुर्गादास, महामंडलेश्वर स्वामी ललितानंद गिरि, स्वामी रविदेव शा ी, महामंडलेश्वर स्वामी सुरेशानंद, महंत बालगिरी, महामनीषी निरंजन स्वामी, महंत गुरमीत सिंह, महंत शिवानंद, महंत सूरजदास, महंत रघुवीर दास, महंत गोविंद दास सहित कई संत महापुरुष उपस्थित रहे।