हरिद्वार।
नगर में शनिवार को हुई झमाझम बारिश ने लोगों को भीषण गरमी से रहत प्रदान की, लेकिन नालों-नालियों से निकलकर सडक़ों पर फैले कीचड़ व गन्दगी ने लोगों का चलना भी मुहाल कर दिया। वहीं कई जगह भारी जल भराव की समस्या से भी लोगों को रूबरू होना पड़ाल जबकि प्रशासनिक अधिकारी आज शनिवार तक भी नालों-नालियों की सफाई को लेकर बैठकों में मशगूल रहे। इस दौरान सूखी नदी भीमगोड़ा क्षेत्र में पहाड़ से भारी मात्रा में आए बरसाती पानी की तेज धारा में यहां पार्क की गई तीन कार भी बहकर गंगा में पहुंच गई।
शनिवार को दोपहर करीब एक घंटा चली मूसलाधार बारिश ने जिला व स्थानीय निकाय प्रशासन को पूरी तरह खबरदार कर दिया, वहीं प्रशासनिक अधिकारी मानसून की तैयारियों को लेकर आज भी बैठक ही करते रह गए। विगत कई दिन से लोग रोजाना बारिश के आने की उम्मीद जगाए बैठे थे। वहीं करीब दो महीने से मानसून की तैयारियों को लेकर प्रशासनिक स्तर पर लगातार बैठकों का दौर चल रहा था। जनप्रतिनिधि विभिन्न माध्यमों से बरसात से पूर्व सभी नाले—नालियों की तलीझाड़ सफाई करने की मांग करते आ रहे थे। शनिवार को हालांकि गूगल पर बारिश होना दर्शाया जा रहा था। लेकिन आसमान पूरी तरह साफ होने के साथ चिलचिलाती धूप लोगों को बेहाल कर रही थी। दोपहर करीब दो बजे से आसमान में घने बादलों ने अपनी आमद दर्ज कराई तो लगा कि बूंदाबांदी जरूर होगी। संयोगवश आज भी जिला मुख्यालय पर प्रशासनिक अधिकारियों की मानसून की तैयारियों की बावत बैठक जारी थी। हल्की बूंदाबांदी ने चंद मिनटों में ही मूसलाधार रूप धारण कर लिया। बारिश की गति देख मानों जनजीवन भी जहां का तहां ठहर गया। लोगों ने इदर – उधर बारिश से बचने के लिए शरण ली। लेकिन डेढ़ घंटे तक लगातार हुई तेज बारिश ने प्रशासनिक तैयारियों की पोल खोल कर रख दी। गली मौहल्लों की नालियों, सीवर मेन होल उफनकर सडक़ों पर आ गए। मुख्य मार्ग के नाले भी सडक़ पर ही बहने लगे क्योंकि नालों में इतनी तेज बारिश का पानी ले जाने की क्षमता ही नहीं थी। नालों-नालियों का कीचड़ सडक़ों पर आ गया। लोगों का बदबूदार कीचड़ से निकलना मुश्किल हो गया। वहीं कई जगह जल भराव की समस्या पैदा हो गई। भगत सिंह चौक से शंकराचार्य चौक तक बारिश का पानी किसी नदी की तरह बहने लगा, लोगों का सडक़ पार करना भी मुहाल हो गया। वहीं भारी बारिश के कारण अचानक सूखी नहीं भीमगोड़ा में आए पानी की तेज धारा में यहां अनधिकृत रूप से पार्क की गई तीन कार भी बह गई। जिन्हें बाद में गंगा में उतराते हुए देखा गया।