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विकास तिवारी
कांवड़ मेला हुड़दंग नही मनोकामना पूर्ति आस्था और श्रद्धा का रेला है।
ये वाक्य मेरे नही उन कांवड़ियों के है जो सेकड़ो मील दूर से हरिद्वार हरकीपेड़ी से माँ गंगा का पवित्र जल लेकर अपने गंतव्य तक कई दिन की पैदल यात्रा करते है। ऐसा ही एक युवा कांवड़िये दीपक से जानकारी लेने पर उसने बताया कि वर्ष 2011 में उसका दुर्घटना में दोनों पैरों की हड्डियों का चूरा हो गया था जान के भी लाले पड़ गए थे, उसके परिवार द्वारा भगवान भोले बाबा से उसके सकुशल होने पर कांवड़ ले जाने की मनोकामना की गई थी। जिसके बाद महज छह महीने में ही चमत्कारिक रूप से दीपक स्वस्थ हो गया। जबकि चिकित्सको द्वारा डेढ़ से दो साल का समय स्वस्थ होने और हमेशा के लिए पांव खराब होने की बात कही गयी थी। दीपक से स्वस्थ होने के बाद अपने परिजनों द्वारा मांगी गयी मनोकामना पूर्ण होने पर 2012 से ही कांवड़ लेने हर साल हरकीपेड़ी आते है। दीपक ने बताया कि वो राजस्थान के भिवाड़ी के रहने वाले है जो 465 किलोमीटर की दूरी पैदल तय करते है। बताया कि 2012 से लगातार हर वर्ष कांवड़ लेने आते है। उनके साथ उनके गांव के ओर लोग भी है जो अपनी मनोकामना पूरी होने पर कांवड़ ले जाते है। कहा कि भोले बाबा सब पर दया करते है सब की मनोकामना पूरी करते है।