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हरिद्वार ग्रामीण विधानसभा की जनता ने एक ओर जहां पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत की पुत्री अनुपमा रावत को विजयश्री देकर दिलाकर हरीश रावत का सम्मान किया है, वही अनुपमा रावत को चुनाव जीताने के लिए विधानसभा के कांग्रसी कार्यकर्ताओ ने भी दिन रात कड़ी मेहनत की। लेकिन चुनाव निपटे एक महीना ही बीता है विधानसभा क्षेत्र के कई दिग्गज नेता जो हरीश रावत के करीबी है आज कांग्रेस छोड़कर जा रहे है। जिसमे विधानसभा क्षेत्र ने गांव अम्बुवाला के रहने वाले धर्मेन्द्र प्रधान जो बीते दो दशक से हरीश रावत के बाएं हाथ माने जाते है, अनुपमा रावत के चुनाव में महत्वपूर्ण भूमिका में रहे। बीते सप्ताह कांग्रेस को बाये कर गए। हालांकि उन्होंने इस संबंध में खुलकर कुछ नहीं कहा लेकिन यदि कांग्रेसी नेताओं की मानें तो उनका कहना है कि अनुपमा रावत को अच्छे और बुरे लोगों की पहचान ही नहीं है। चुनाव जीतने के बाद उनके चारों ओर ऐसे मौकापरस्त लोगों का घेरा बन चुका है, जो भाजपा छोड़कर आये या कहे की विरोध की राजनीति करने के कारण निकाले गए हैं, जो कांग्रेस में अवसर की तलाश में थे। वह अब कांग्रेस के निष्ठावान कार्यकर्ताओं को भी रावत परिवार से दूर करने में लगे हैं। बीते माह अजीतपुर के पूर्व प्रधान नरेंद्र कश्यप के साथ भी घटना घटी होली वाले दिन गांव के ही दो पक्षों में बच्चों की लड़ाई को लेकर झगड़ा हो गया था। जिसके बाद कांग्रेस विधायक जिनके लिए गांव के अधिकतर लोगों ने वोट किया। उन्हें जिताने के लिए पूर्व प्रधान ने भी खुलकर उनके लिए दिन-रात कार्य किया। बावजूद उसके अनुपमा रावत द्वारा ना तो पूर्व प्रधान नरेंद्र कश्यप का फोन उठाया गया, ना ही गांव के किसी अन्य व्यक्ति का फोन उठाया गया। हालांकि क्षेत्र के पूर्व विधायक कैबिनेट मंत्री रहे स्वामी यतिस्वरानंद ने मध्यस्ता करते हुए दोनों पक्षों में सुलह करवाई। दोनों ओर से सभी मुकदमा वापस करा दिए गए। परंतु कांग्रेस के निष्ठावान कार्यकर्ता माने जाने वाले नरेंद्र प्रधान भी अब कांग्रेस से कन्नी काट रहे हैं। उनकी नाराजगी अंबेडकर जयंती कार्यक्रम के दौरान भी देखने को मिली जब हरीश रावत अनुपमा रावत के साथ अजीतपुर गांव में अंबेडकर जयंती के कार्यक्रम में पहुंचे तो नरेंद्र प्रधान व अन्य कार्यकर्ताओ ने उनसे दूरी बनाकर रखी। वही क्षेत्र के कुछ तथाकथित भाजपा छोड़कर आए छोटू भैया नेता अपने नंबर बढ़ाने के लिए हरीश रावत और अनुपमा की परिक्रमा करते दिखे जिसके चलते अन्य कांग्रेसी और स्थानीय लोग भी अपनी विधायक अनुपमा रावत से कटते नजर आए। ग्रामीणों का कहना है कि जो लोग साथ लगे है उनसे क्षेत्र के सभ्रांत लोग दूर ही रहते है हर जगह उनके साथ खड़े होने से अनुपमा रावत की छवि बिगाड़ने में लगे है। ऐसे लोगों का सम्मान ग्रामीण डर से तो कर सकते हैं परंतु दिल से नहीं कर सकते।