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अव्यवस्थाओं के बावजूद भारी भीड उमड रही पारंपरिक सिद्धकुटी मेले में

हरिद्वार।
गंगा अवतरण दिवस व जेष्ठ मास के दसवीं को लगने वाले गंगा किनारे मेले का प्रचलन देश के विभिन्न स्थानों पर गंगा के किनारों पर अपनी—अपनी मान्यता के अनुसार लगता है। लेकिन धर्म नगरी हरिद्वार के गैंडीखाता वन क्षेत्र के अंतर्गत कजरी बन में स्थित गंगा किनारे सिद्ध पीठ स्थल सिद्ध कुटी आश्रम पर इस मेले का अपना ही अनूठा प्राचीन इतिहास चला आ रहा है। पिछले 2 वर्षों से करोना काल के कारण इस सिद्ध कुटी आश्रम पर सांकेतिक रूप से ही मेले का आयोजन हुआ था। इसलिए इस बार इस सिद्ध कुटी मेले पर श्रद्धालुआें का आने का सिलसिला 3 दिन पहले से ही शुरू हो गया था जो लगातार जारी है। यह सिद्ध कुटी आश्रम उत्तराखंड के साथ—साथ उत्तर प्रदेश के कई जिलों से श्रद्धालु अपने श्रद्धा लिए हुए इस स्थान पर पहुंच कर गंगा में स्नान कर सिद्ध कुटी सिद्ध पीठ पर प्रसाद चढ$ाकर माथा टेक कर बाबा का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। वही इस मेले की विशेष खासियत है मेले में विभिन्न क्षेत्रों से आए लोगों द्वारा भंडारों का आयोजन होता है वही इन भंडारों में जो प्रमुख लिए जाना जाता है जो काफी समय पूर्व से यहां सिद्ध कुटी मेले में आयोजित होता रहा है वह भंडारा श्रद्धालुआें के बीच वालिया वालों का भंडारे के नाम से जाना जाता है। वहीं मेले में श्रद्धालुआें का रेला उमड$ रहा है। मेले में श्रद्धालुआें की भीड$ कम होने का नाम नहीं ले रही मेले में विशेष रुप से ट्रैक्टर ट्राली टू व्हीलर के साथ ही लोग ई-रिक्शा कार व पैदल ही मेले की आेर जा रहे हैं। जिससे मेले में अपार जनसमूह उमड रहा है। वहीं मेले में व्यवस्थाआें का ठीक से ना होना भी दूसरा कारण है। क्योंकि मेला वन क्षेत्र में होने के कारण पार्किंग के नाम पर केवल कुछ लोगों द्वारा वन क्षेत्र में छोटी—छोटी रस्सियां लगाकर वेरी गेट कर पार्किंग बना दी जाती है, जिनमें केवल टू व्हीलर वालों के लिए यह सुविधा है वहीं ट्रैक्टर ट्रालियों के लिए निश्चित स्थान न होने के कारण ट्रैक्टर ट्राली से जाने वाले जहां उनकी इच्छा होती है, वहीं पर ट्रैक्टर ट्रालियों को इधर-उधर आड$ा तिरछा खड$ा कर जगह-जगह जाम की स्थिति बना देते हैं वहीं मेले में मान्यता के अनुसार गंगा किनारे बच्चों का मुंडन कराने वाले भी इस मेले में बच्चों का मुंडन करा कर गंगा नहा कर प्रसाद चढ$ा रहे हैं। मेले में दूर— दर से आए दुकानदारों में प्रसाद का काम करने वाले गिरीश चंद जलेबी बनाने वाले, टीकम समोसा चाट टिक्की लगाने वाले, चंद्रपाल पानी में कोल्डिंग का काम करने वाले, राम सिंह मेले में कप गिलास प्लेट बेचने वाले, रामपाल सिंह आदि दुकानदारों का कहना है पिछले दो वर्ष कोरोना काल के कारण मेले में दुकान न लगाने से उन्हें काफी नुकसान हुआ था। लेकिन इस बार मेले में उन्होंने दो वर्ष बाद दुकान लगाई है तथा उनके पास ग्राहकों का तांता लगा हुआ है। जिससें उन्हें खुशी व बाबा का आशीर्वाद प्राप्त हो रहा है। मेले में सुविधाआें अभाव देखा गया। इसमें मुख्य रूप से आने वाले श्रद्धालुआें के लिए पानी की व्यवस्था का ना होना जिसके कारण लोगों को मेले में बोतलबंद पानी पीने के लिए विवश होना पड$ा।

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