राजनैतिक ड्रामा और समारोह प्रबंधन व गुटबाजी का अखाड़ा बन रही है हरिद्वार कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा
हरिद्वार।
दक्षिण भारत में कन्याकुमारी से चली हुई राहुल गाँधी की महत्वकांक्षी भारत जोड़ो यात्रा हरिद्वार जनपद में आते आते बिखराव, गुटबाज़ी और आपसी कलह की शिकार होती दिख रही है। कांग्रेस पार्टी की 14 नवम्बर से 19 नवम्बर तक हरिद्वार जनपद में होने वाली भारत जोड़ो यात्रा को पूर्व प्रदेश सचिव शरत शर्मा ने केवल एक इवेंट मैनेजमेंट, गुटबाजी का अखाड़ा और राजनैतिक ड्रामा बताया है। उन्होंने कहा की उत्तराखंड का पूर्व शीर्ष नेतृत्व जिस गुटबाजी की अलख प्रदेश कांग्रेस में जगा कर गया था वो समाप्त होने को नहीं आ रही है। प्रदेश भर में कार्यकर्ताओं का असंतोष बढ़ता हुआ दिखाई दे रहा है। नए प्रदेश अध्यक्ष करण माहारा के कार्यभार संभालने के बाद से अब तक जिला स्तरीय संगठन का गठन नहीं हो पाया है। और पूर्व जिलाध्यक्षों और महानगर अध्यक्षों को ये नहीं समझ आ रहा है की वो अपने आप को वर्तमान पदाधिकारी समझ कर काम करे या पूर्व मान ले। जबकि जिले भर के कांग्रेस कार्यकर्ताओं में असमंजस की स्थिति बनी हुई है की वो किसकी अध्यक्षता में कार्य करें। कांग्रेस के कुछ पूर्व शीर्ष नेताओं की पीसीसी के कार्यों में दखलअंदाजी कर अपने-अपने गुट के लोगो के पदों और राजनैतिक कद को बचाने की चिंता और प्रयास नए प्रदेश अध्यक्ष के सामने संगठनात्मक चुनौतियों की दीवार बन कर खड़ी हो गई है। इसके इतर प्रदेश भाजपा ने अपने सभी जनपद अध्यक्ष के नामों की घोषणा कर के अनुशासन और नेतृत्व में फिर कांग्रेस पार्टी से बाजी मार ली।
जंहा भारत जोड़ो यात्रा में राहुल गाँधी पिछले 67 दिनों से लगातार पदयात्रा करते हुए महंगाई, बेरोजगारी, भ्रष्टाचार और धार्मिक सहिष्णुता की बाते करते हुए कन्याकुमारी से श्रीनगर की और चल रहे है वही पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत, प्रीतम सिंह, नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य और उपनेता प्रतिपक्ष भुवन कापड़ी समेत 19 विधायकों में से सभी नेता अपने पार्टी के 2022 के चुनावी घोषणापत्र में बताये गए 4 लाख रोजगारों और प्रदेश भर में हो रहे रोजगार घोटालों और भ्रष्टाचार को लेकर किए गए अपने चुनावी वायदे को भूल कर *उत्तराखंड रोजगार बिल* पर बात करने से भी कन्नी काटते नजर आ रहे है। और दूसरी तरफ अपनी व्यक्ति गत साख बचाये रखने और जनसमर्थन को बहलाये फुसलायें रखने के लिए बेरोजगारी पलायन, भ्रष्टाचार, प्रदेश की महिलाओं के लिए सुरक्षित रोजगार जैसी समस्याओं पर केवल अपनी फेसबुक पेज से और ट्विटर से बयानबाजी करते दिखाई दे रहे है।
पूर्व प्रदेश सचिव ने बताया की जहां एक ओर वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष कांग्रेस नेताओं की गुटबाजी और प्रदेश के शीर्ष नेताओं के असहयोगात्मक रवैए से लड़ते हुए प्रदेश के युवाओं के लिए *उत्तराखंड रोजगार बिल* लाकर प्रदेश के बेरोजगार युवको के लिए जीवनदायी कानून लाना चाहते है और उन्हें बेरोजगारी, पलायन और भविष्य की असुरक्षा की भावना से मुक्ति दिलाने के लिए प्रतिबद्ध है दूसरी तरफ कुछ गुटबाज नेता उनके कार्यकाल में उन्हें असफल करने की साजिशो में लगे दिखाई देते हैं। उन्होंने आगे कहा की उत्तराखंड एक पर्यटन से चलित अर्थव्यवस्था है जिसमे महिलाओं के लिए सम्मानजनक और सुरक्षित कार्यस्थल देना एक चुनौती है। अंकिता भंडारी हत्याकांड इसी तरफ इशारा करता है की पर्यटन से सम्बन्धित रोजगार महिलाओं के लिए सुरक्षित नहीं है और दूसरी तरफ उन्हें 30 प्रतिशत आरक्षण देने में भी किन्तु परन्तु की जा रही है। विधानसभा में बैक डोर भर्ती घोटाला और अन्य नौकरी घोटालों में पकडे गए दोषियों के खिलाफ कठोर कानून न होने की कमी भी उत्तराखंड रोजगार बिल लाये जाने की आवश्यकता पर जोर दे रही है। एक ही नौकरी में निजी क्षेत्र में और सरकारी नौकरी के वेतनमान भुगतान में बहुत बड़ा अंतर और मनरेगा में मजदूरी और अन्य क्षेत्रों में मजदूरी के भुगतान में अंतर भी एक समाधान और कानून की आवश्यकता स्पष्ट रूप से परिलक्षित कर रहा है। शरत शर्मा ने सोशल मिडिया पर एक वीडियों सन्देश जारी करते हुए पूर्व मुख्यमंत्री हरिश रावत को उनके चार लाख रोजगार देने के वायदे को याद दिलाने का प्रयास किया और प्रेस में बयान जारी करते हुए उनसे अपील करते हुए कहा की अब सभी शीर्ष नेताओं को नवनियुक्त प्रदेश अध्यक्ष करण माहरा का सहयोग करना चाहिए। साथ ही दिल्ली में नवनियुक्त राष्ट्रिय अध्यक्ष मलिकार्जुन खड़गे से अनुरोध किया की उत्तराखंड प्रदेश कांग्रेस को सुचारु रूप से चलने देने के लिए पूर्व के गुटबाजी करने वाले नेताओं की महत्वकाँक्षाओं पर अंकुश लगाना अनिवार्य है और हरिद्वार कांग्रेस भी इसमें अपवाद नहीं है। उन्होंने आगे कहा की सभी गुटों के नेताओं को युवाओं के लिए अतिमहत्वपूर्ण उत्तराखंड रोजगार बिल पर एक साथ मिल कर सदन के अंदर और सदन के बाहर काम करना चाहिए और एक मजबूत विपक्ष की भूमिका सवेंदनशीलता और जिम्मेदारी के साथ निभानी चाहिए। अन्यथा जनपद हरिद्वार की भारत जोड़ो यात्रा की संभावित असफलता का ठीकरा 19 नवम्बर के बाद किसके सर फोड़ा जाएगा ये भी मंत्रणा साथ साथ कर लेनी चाहिए।