उत्तराखंड हरिद्वार

रेलवे ट्रैक पर हाथी की मौत का जिम्मेदार कौन, खुद की लापरवाही दूसरो पर थोपने की तैयारी

-निगरानी टीमे अपना कार्य मुस्तैदी से नही करती लापरवाही बरती जाती है: आदित्य
-वन विभाग ट्रेन की स्पीड में ही फं सा नजर आ रहा जबकि अपनी विभागीय लापरवाही 
हरिद्वार।
राजाजी टाइगर रिजर्व की हरिद्वार रेंज के उत्तरी खडखडी बीट में एक हाथी के बच्चे की ट्रेन से कटकर दर्दनाक मौत हो गई। हाथी के बच्चे की मौत से राजाजी टाइगर रिजर्व प्रशासन में हडकंप मच गया। सूचना मिलते ही राजाजी टाइगर रिजर्व के अधिकारियों और कर्मचारियों की टीम मौके पर पहुंची और शव को कब्जे लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया। ट्रेन की टक्कर लगते ही हाथी का बच्चा गिर पड$ा और उसके ऊ पर से ट्रेन की बोगी उतर गई। ट्रेन के नीचे हाथी के बच्चे का शव पड$ा रहा और करीब दो घंटे तक रेल यातायात प्रभावित रहा। जानकारी के अनुसार अक्सर हाथी यहां से रेलवे ट्रैक को पार करते हैं। हादसा उस समय हुआ जब हाथियों का झुंड जंगल से निकलकर ट्रैक पार कर रहा था। तभी यहां से हावड$ा देहरादून एक्सप्रेस ट्रेन गुजर रही थी। टक्कर लगते ही शिशु हाथी ट्रेन के इंजन के नीचे फंस गया। बताया जा रहा है कि रफ्तार अधिक होने से चालक ब्रेक नहीं लगा सका और शिशु हाथी इंजन के नीचे आ गया। इस कारण उसकी मौके पर ही जान चली गई। हादसे के चलते करीब दो घंटे तक रेल यातायात बाधित रहा। इसके कारण देहरादून हरिद्वार रूट पर कई ट्रेनें लेट हो गईं। सूचना पर राजाजी टाइगर रिजर्व और जीआरपी की टीमें मौके पर पहुंचीं। वनकर्मियों ने हाथी के बच्चे के शव को ट्रैक से हटवाया और पोस्टमार्टम की प्रक्रिया शुरू करवाई बताया जा रहा है।
कि चालक ने हाथियों के झुंड को देखकर इमरजेंसी ब्रेक लगाया, लेकिन दूरी कम होने के कारण हादसा नहीं टल सका। प्राथमिक जांच में सामने आया है कि धुंध के कारण घटना हुई है। धुंध अधिक होने के कारण हाथियों का झुंड दूर से नहीं दिख पाया था। पास आते ही इमरजेंसी ब्रेक लगाई, लेकिन शिशु हाथी रेलवे ट्रेक नहीं पार कर पाया। जबकि साथ में मौजूद चार अन्य हाथी रेलवे ट्रेक पार कर चुके थे। मृतक शिशु हाथी है, जिसकी उम्र करीब 5 से 7 साल के बीच है। ट्रेन से टक्कर लगकर हाथी की मौत हुई है। सूचना मिलते ही राजाजी टाइगर रिजर्व की टीम मौके पर पहुंची और कड$ी मशक्कत के बाद हाथी के शव को ट्रैक से बाहर निकाला गया। शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम कराया गया है। प्राथमिक जांच में सामने आया है कि हादसे से पहले ट्रेन की स्पीड निर्धारित स्पीड से ज्यादा थी। लापरवाही सामने आने पर राजाजी टाइगर रिजर्व प्रशासन की आेर से लोको पायलट खुशी राम मौर्य और सहायक लोको पायलट दीपक कुमार के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है। मोतीचूर रेंज अधिकारी महेश सेमवाल ने बताया कि वन्य जीव संरक्षण अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू कर दी गई है। वही जब इस संबंध में राजाजी टाइगर रिजर्व के कंजरवेटर अजय लिंगवाल से बात की गई तो उन्होंने बताया कि डब्लू डब्लू एफ  और वेटिनरी डाक्टरो की टीम ने हाथी के बच्चे का पोस्ट मार्टम किया गया है। बताया कि । जिसमें वन विभाग और रेलवे की टीमे साथ मिलकर कार्य करती है। यदि ट्रेन की स्पीड अधिक होती तो वह उसे घसीट कर काफ ी दूर ले जाता लेकिन वह दुर्घटना स्थल पर ही रूक गई थी। बताया कि ट्रन की स्पीड के संबंध में रेलवे से डेटा मांगा गया है। बताया कि वाच टावर बने हुए है समय समय पर अपडेट भी ली जाती है।
वनविभाग कर्मचारियो की लापरवाही के सवाल पर राजाजी टाइगर रिजर्व के कंजरवेटर अजय लिंगवाल ने सफाई देते हुए कहा कि क्यूआरटी गठित की गई है जो वन्यजीवो पर निगरानी करती है। करने केलिए अलग अलग स्थानो पर निगरानी करती है। बताया कि रेलवे टै्रक की टीम अलग होती है उनका रेलवे के साथ समन्वय होता है। टे्रन के आने पर वह आपस में संपर्क स्थापित करते है। बताया कि हाथी बडा जानवर है उसके घूमने का क्षेत्र भी बहुत बडा होता है। बताया कि हाथी को रोकने के लिए जगह जगह खाई खोदी गई है, सौलर वायर भी लगाई गई है लेकिन वह सब बाधाओ को पार कर देता है। संवेदनशाील क्षेत्रो में दीवार बनाई गई है वह दीवार भी तोड देता है। बताया कि गांव वालो का ही हाथी सुरक्षा दल में शाामिल किया गया है। जो उनकी जानकारी देते रहते है। कंजरवेटर के अनुसार उनकी निगरानी टीमें कोई लापरवाही नही बरतती है। हाथी का बच्चा अचानक से ट्रेक पर आ गया और दुर्घटना का शिकार हो गया। लेकिन वन्यजीव प्रेमी पीएफए के हरिद्वार जनपद प्रभारी आदित्य शर्मा का कहना है कि हाथियो के साथ घटने वाली दुर्घटनाओ मेें सबसे बडी लापरवाही वन विभाग की है सूचना में मांगी गई कर्मचारियो की सूची और जांच को शिकायतकर्ता को नही दिया जाता है। जिसके चलते वन विभाग में चल रहे बडे भ्रष्टाचार और वन्यजीवों की जान के साथ हो रखे खिलवाड को नकारा नही जा सकता है। उन्होने कहा कि जब हाथी निगरानी टीम हाथियो पर निगरानी केलिए बनी है और उन्हें पता है खडखडी बीट में ट्रैक पर कहां कॉरिडोर है तो उप पर गिनरानी करने वाले कहां थे जबकी ट्रेन आने का समय निश्चित है। लापरवाही का दूसरा उदाहरण देते हुए बताया कि रानीपुर झाल के निकट करंट लगने से हाथी की मौत हुई थी जो वन विभाग की चौकी के तीन किलोमीटर की रेंज में था करीब पांच दिन बाद जब दुर्घध फै लने लगी तो राहगीरो ने वन विभाग को हाथी के मरने की सूचना देने पर विभाग आया था। बताया की वन्य जीवों की लगातार होती मौतो पर वन विभाग ही दो भागों मे बट्टता नजर आता है आरोप प्रत्यारोप रूपी बॉल को एक दूसरे के अलावा अन्य के पाले मे डालना के प्रयास मे रहते है जबकि पूरी जिम्मेदारी वन विभाग की है क्युकी वन विभाग की वन्य जीवों से जुड़ा है अपने विभागीय कर्मचारियों की लापरवाही नजर नहीं आती जग जाहीर है हाथी अपने गलियारे से ही जाता है तो रेलवे ट्रैक के इसी क्षेत्र से हाथी पार करते है तो वहा पर आज तक ठोस व्ययस्था कयो नहीं की गई ओर बहुत सवाल है जो वन विभाग को वन्य जीवों की हत्या का जिम्मेदार ठहराते है ?

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