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सनातन संस्कृति मानव को जोड सकती है-स्वामी अवधेशानंद गिरी महाराज

 

हरिद्वार।
जूना पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि महाराज ने कहा कि आज पूरी दुनिया में केवल सनातन संस्कृति एसी है जो मानव मात्र को जोड सकती है आज पूरे विश्व में एक कलह, अशांति और युद्ध का माहौल है। एसे में सनातन धर्म सदा अन्यों की रक्षा के लिए सबको जागरूक करता रहा है। इतना ऊंचा सिद्धांत देने वाला अन्य धर्म या संप्रदाय नहीं है। आचार्य महामंडलेश्वर आज उत्तरी हरिद्वार के सप्तऋषि आश्रम में श्री सनातन धर्म प्रतिनिधि सभा पंजाब नई दिल्ली के शताब्दी समारोह के उद्घाटन समारोह के अवसर पर आयोजित शताब्दी महोत्सव महासम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने दीप प्रज्वलित कर शताब्दी महोत्सव का उद्घाटन किया।
इस अवसर पर सभा की राष्ट्रीय प्रधान डाक्टर देशबंधु ने स्वागत भाषण देते हुए सभा द्वारा शिक्षा और विभिन्न क्षेत्रों में किए गए कार्यों का विवरण प्रस्तुत किया। कार्यक्रम का संचालन सभा के प्रचार मंत्री डाक्टर नंदकिशोर ने किया।
आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि ने कहा कि कहा कि केवल सब मेरा ही आत्मरूप है। इस वेदांत दर्शन का प्रतिस्थापन करने वाला सनातन धर्म विश्व को एक कुटुंब मानता है, और कुटुंब में सबसे सबके उन्नयन की बात करता है। उन्होंने आगे कहा कि सनातन धर्म तो सब लोकों में सुखी होने की बात करता है सभी नक्षत्र, ब्रह्मांड आदि। तभी तो सर्वे भवंतु सुखिना,सर्वे संतु निरामया का मंत्र सनातन धर्म ने दिया है।
स्वामी जी महाराज ने सनातन धर्म के विश्व व्यापी मांगलिक स्वरूप पर प्रकाश डालते हुए यह रेखांकित किया कि आज युद्ध की विभीषिकाआें से त्रस्त मानव जाति को यदि कोई धर्म शान्ति का संदेश दे सकता है। विश्व को एक सूत्र में बांध सकता है, यदि कोई संस्कृति परस्पर विरोधी दो मानव समुदायों, देशों और समाजों को जोड सकती है तो वह सनातन संस्कृति है वैदिक संस्कृति है क्योंकि यह संस्कृति समस्त प्राणियों में आत्म तत्व के और ब्रह्म तत्व के दर्शन करते हुए सभी में विश्व बंधुत्व की भावना को जगाती है। आज आवश्यकता है कि हमारी युवा पीढ$ी पाश्चात्य संस्कृति का अंधानुकरण छोड$कर भारतीय संस्कृति में निहित मानव मूल्यों और मानवीय संस्कारों को आत्मसात कर पूरे विश्व में शांति स्थापित करने का कार्य करें। उन्होंने इस अवसर पर महामना मालवीय जी को आधुनिक युग के सनातन धर्म के पुरोधा पुरुष के रूप में याद किया और सनातन धर्म के लिए उनके द्वारा की गई निष्काम सेवाओ की भूरि भूरि प्रशंसा करते हुए उनके प्रति तज्ञता व्यक्ति की। उन्होंने कहा कि त्याग मूर्ति गोस्वामी गणेश दत्त जी महाराज ने प्रतिनिधि सभा के संचालक के रूप में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। भारत विभाजन के समय शरणार्थी बनकर आए हुए सनातन धर्मियों के  पुनर्वास में उनका महत्वपूर्ण योगदान है।
इस अवसर पर प्रतिनिधि सभा के प्रधान डा. देशबंधु, कार्यवाहक प्रधान आईएम गोस्वामी,महामंत्री उपेंद्र शर्मा, डाक्टर गुरदीप शर्मा,डा. मदन, महंत स्वरूप बिहारी शरण,डा.नंदकिशोर शर्मा, संजय गोयल,सुधीर गुप्ता,राजीव मोदगिल, डा. वेदप्रकाश आदि अनेक सनातन धर्म सभा के पदाधिकारियों ने द्वार पर माल्यार्पण कर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी स्वामी अवधेशानंद गिरि महाराज का स्वागत किया। इस अवसर पर एसडी विद्या स्कूल अंबाला छावनी की छात्राओ द्वारा सरस्वती वंदना प्रस्तुत की गई। एसडी पब्लिक स्कूल अंबाला छावनी की छात्राओ द्वारा गीता जयंती के पावन पर्व पर भगवान कृष्ण के लीलाओ की मधुर झांकी प्रस्तुत की। गीता जयंती के पावन पर्व पर सभागार में उपस्थित सभी भक्तजनों ने गीता के पहले श्लोक,नवम अध्याय के 22 में तथा 18 वें अध्याय के अंतिम श्लोक का सामूहिक पाठ किया तथा जगद्देव सिंह संस्कृत महाविद्यालय के छात्रों द्वारा गीता के 11 वें अध्याय का पाठ करते हुए भगवान कृष्ण के विराट रूप का स्तवन किया।

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