रुड़की।
उत्तराखंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय कार्यालय, रुड़की की ओर से जनपद हरिद्वार की तहसील रुड़की क्षेत्र में संचालित कोल्हू/गुड़ भट्टियों के संचालन एवं पर्यावरणीय मानकों के अनुपालन हेतु एक बैठक आयोजित की गई। बैठक में सीएसआईआर-आईआईपी, देहरादून के वैज्ञानिकों ने कोल्हू/गुड़ भट्टियों की डिज़ाइनिंग में किए गए सुधारों पर विस्तृत जानकारी दी।
नई तकनीक से संचालित कोल्हू/गुड़ भट्टियों में लगभग 25 प्रतिशत ईंधन की बचत होगी, वहीं उत्पादन क्षमता में 15 प्रतिशत की वृद्धि संभव है। सीएसआईआर-आईआईपी देहरादून द्वारा विकसित इस तकनीक से वायु प्रदूषण भी नियंत्रण बोर्ड द्वारा निर्धारित मानकों के भीतर ही रहेगा। देश के विभिन्न हिस्सों में अब तक इस तकनीक से 67 कोल्हू/गुड़ भट्टियाँ बनाई जा चुकी हैं।
बैठक में वैज्ञानिकों ने बताया कि इस उन्नत तकनीक को अपनाने से संचालकों को हर सीजन लगभग 50 से 60 हजार रुपये का सीधा लाभ होगा। इस मौके पर पंकज कुमार आर्य, वरिष्ठ प्रधान वैज्ञानिक एवं सतीश कुमार, वरिष्ठ तकनीकी अधिकारी ने विस्तार से प्रस्तुतीकरण दिया और सभी संचालकों को तकनीक अपनाने की सलाह दी।
इस अवसर पर उत्तराखंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी डॉ. राजेश सिंह आर्य ने कहा कि कोल्हू/गुड़ भट्टियों का संचालन पूर्णतः पर्यावरणीय मानकों के अनुरूप होना चाहिए। उन्होंने संचालकों को चेतावनी दी कि कोल्हू भट्टियों में अनुमानित ईंधन (ईख-बगास, लकड़ी आदि) के अलावा यदि प्लास्टिक, रबर या अन्य अपशिष्ट जलाए जाते पाए गए, तो नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी। इस बैठक में उपस्थित संचालकों ने नई तकनीक को अपनाने में सहयोग का आश्वासन दिया।
















































