उत्तराखंड ऋषिकेश

धराली के लिए किया आवाहन

धराली, पुकार रही है हमारे सामूहिक प्रयासों को
जब हम एकजुट होते हैं, तो न केवल एक गाँव, बल्कि पूरी मानवता का भविष्य बदल सकता है
एक गाँव का उत्थान, पूरे समाज की प्रगति का आधार

ऋषिकेश।

उत्तराखंड की गोद में बसा सुंदर गाँव धराली आज अपने कठिन दौर से गुजर रहा है। हिमालय की गोद में स्थित यह गाँव कभी अपने प्राकृतिक सौंदर्य, समृद्ध संस्कृति और मेहमाननवाजी के लिए प्रसिद्ध था लेकिन समय और परिस्थितियों ने इसे ऐसी चुनौतियों के सामने ला खड़ा किया है, जिनसे उबरने के लिए अब केवल प्रशासन नहीं, बल्कि पूरे समाज की एकजुटता और भागीदारी की आवश्यकता है।

परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा कि उत्तराखंड की पवित्र धरती, जिसने सदियों से पूरे विश्व को शांति, सुकून और अपनत्व का संदेश दिया है, आज वह स्वयं शांति, सुकून, अपनत्व और एकजुटता की गहरी जरूरत महसूस कर रही है।
उन्होंने कहा कि इस कठिन समय में भले ही मैं अपने प्यारे उत्तराखंड में शारीरिक रूप से उपस्थित नहीं हूँ, लेकिन मेरी भावनाएँ, चिंतन और प्रार्थनाएँ सदैव उत्तराखंड और यहाँ के लोगों के साथ हैं। परमार्थ निकेतन में प्रतिदिन उत्तराखंड की शांति और समृद्धि के लिए विशेष यज्ञ आयोजित किए जा रहे हैं। साथ ही, प्रतिदिन तीनों समय, सुबह, दोपहर और शाम, निराश्रितों एवं जरूरतमंदों को भंडारे के माध्यम से भोजन प्रसाद वितरित किया जा रहा है,
धराली के लोग कठिनाइयों से जूझते हुए भी अपने सपनों और संघर्षों के साथ खड़े हैं। यही उम्मीद हमें प्रेरित करती है कि हम सब मिलकर इस गाँव को पुनः जीवंत करें और इसे विकास और समृद्धि का उदाहरण बनाएं। इसका पुनर्निर्माण केवल स्थानीय विकास का प्रतीक नहीं होगा, बल्कि यह पूरे देश को संदेश देगा कि जब हम एकजुट होते हैं, तो कोई भी चुनौती हमें रोक नहीं सकती।
धराली की गलियों में आज भले ही सन्नाटा और उदासी का माहौल हो, पर इस मिट्टी में उम्मीद और हौसले के बीज अब भी जिंदा हैं। यहाँ के लोगों के चेहरे पर संघर्ष की रेखाएँ हैं, लेकिन आँखों में कल के सुनहरे सपने भी। यही उम्मीद हमें प्रेरित करती है कि हम सब मिलकर इस गाँव को फिर से संवार सकते हैं।
धराली आज जिन चुनौतियों से जूझ रहा है, उनमें सबसे बड़ी है, रोटी, कपडा, मकान और मूलभूत सुविधाओं की कमी। इन चुनौतियों के समाधान के लिए हम सबको मिलकर काम करना होगा। यह सिर्फ एक गाँव का पुनर्निर्माण नहीं, बल्कि एक पूरी जीवनशैली, संस्कृति और सामुदायिक आत्मविश्वास को फिर से जीवित करने का प्रयास है।
धराली के पुनर्निर्माण का सपना तभी साकार हो सकता है, जब हर कोई इसमें अपनी भूमिका निभाएगा, चाहे वह दान के रूप में हो, श्रमदान के रूप में या किसी तकनीकी सहयोग के रूप में। यह केवल सरकार की जिम्मेदारी नहीं, बल्कि हम सबकी सामूहिक जिम्मेदारी है।
धराली का पुनर्निर्माण केवल एक स्थान को बदलने का प्रयास नहीं, बल्कि यह एक संदेश है कि जब हम सब साथ आते हैं तो किसी भी मुश्किल को अवसर में बदला जा सकता है। यह गाँव केवल भौगोलिक क्षेत्र नहीं, बल्कि हमारे सांस्कृतिक और आध्यात्मिक मूल्यों का प्रतीक है।
आज धराली हमें बुला रहा है, सेवा, सहयोग और संवेदनशीलता के साथ आगे आने के लिए। आइए, हम सब इस पवित्र भूमि को उसका खोयी हुई शान्ति लौटाने में योगदान दे। इससे केवल धराली की रौनक ही नहीं, बल्कि हमारी सामूहिक चेतना और मानवता की जीत होगी।

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