हरिद्वार।
वन प्रभाग के श्यामपुर वन रेंज कार्यालय में वन कर्मियों को वर्षा कालीन समय में सांपों के अत्यधिक मात्रा में निकलने पर वन कर्मचारियों द्वारा सांप को रेस्क्यू करते हुए किन—किन सावधानियों को बरतना चाहिए इस विषय पर श्यामपुर रेंज कार्यालय स्थित गोष्ठी का आयोजन किया गया। गोष्ठी में सांप पर अध्ययन कर रहे डा. अभिषेक सिंह ने बताया कि इस तरह क्षेत्र में करीब 4 वर्ष प्रजाति के सांप पाए जाते हैं जिसमें चार से पांच सात विषैली प्रजाति के होते हैं। बताया कि इस क्षेत्र में भी सभी प्रजाति के सांप मिलने की संभावना है, लेकिन यहां मुख्य रूप से कोबरा, कैरत, रसल वाइपर सांप ज्यादा पाए जाते हैं। कहा कि वर्तमान में वर्षा के बाद उमस बढने पर सांप बाहर निकलते हैं और वर्तमान में काफी ज्यादा दिखाई देते हैं। उन्होंने बताया कि काले रंग का कोई भी सांप हो वह काफी जहरीला होता है। सांप काटने के बाद ब्लड के संपर्क में आते ही रिएक्शन शुरू हो जाता है। सांप काटने के बाद जरूरी नहीं की उसने जहर थोड$ा हो वह सांप के ऊ पर निर्भर करता है कि वह काटने के बाद कितना जहर छोड$ता है। सांप का रेस्क्यू करने वाले वन कर्मियों को समझाया कि सांप के साथ कभी मजाक नहीं करना चाहिए। सांप पकडते समय एक्स्ट्रा प्रिकशन जरूर लें जिससे कि वह आपको ना काटे। सांप पकडने के बाद उसे जिस कट्टे या बैग में छोड$े उसे भी ढंग से देख ले की उसमे कहीं कोई छेद ना हो। इस मौके पर मुख्य रूप से डिप्टी रेंजर नाथीराम, अशोक कुमार, सोनी पंवार, ज्योति, नेहा, नंदनी, भूपेंद्र बिष्ट, रामतेज तिवारी, मुकेश कुमार सूर्या आदि उपस्थित थे।