लापरवाह प्रशासन का दंश भुगतने को स्कूली बच्चे मजबूर, आंदोलनकारी ने दिया आश्वासन
हरिद्वार।
शिक्षा को लेकर एक बडा फर्जीवाडा सामने आया है। जिसमें ग्राम हेत्तमपुर में एक प्राइवेट स्कूल द्वारा आठवीं तक मान्यता प्राप्त होने का दावा करने के बाद अपने संस्थान में कक्षा नौ और दस के छात्र-छात्राओ को भी किसी अन्य स्कूल से समझौता कर एडमिशन दिये गये थे। जानकारी के अनुसार स्कूल की आड में सरकारी बैंक से लाखो रूपये का कर्ज ले लिया गया। कर्ज न चुकाने की एवज में बैंक द्वारा स्कूल की बिल्डिग को सील कर दिया गया। जिसके चलते कक्षा एक से लेकर कक्षा 10 तक के बच्चें अपने घर बैठ गये है। वहीं नवमी और दसवीं के बच्चों को अवैध रूप से दूसरे स्कूल का सहारा लेकर शिक्षा देने का वादा कर रहे स्कूल प्रबंधन ने भी अपने हाथ पीछे खीच लिए है। जिसके चलते पिछले एक महीने से बच्चें शिक्षा से वंचित है। जब आज अभिभावकों के साथ बच्चे जिला अधिकारी कार्यालय पहुंचे तो वहां पर मौके पर जिलाधिकारी मौजूद नहीं थे।
न ही कोई अन्य अधिकारी बच्चों से जानकारी लेने उनके बीच आया। वहीं जब बच्चे अपनी समस्या का ज्ञापन देने जिलाधिकारी के कमरे की तरफ जाने लगे तो मौके पर मौजूद पुलिस कर्मियों ने उन्हें बाहर निकाल कर शिक्षा अधिकारी के कार्यालय जाने का ज्ञान पेल दिया। घण्टो से जिलाधिकारी के आने का इंतजार कर रहे बच्चें परेशान होकर जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय चल दिये। वहां पर भी तीनो में से काई भी अधिकारी अपने कार्यालय में मौजूद नही था। जिसके चलते बच्चों के हाथ निराशा ही लगी। इस बीच हरिद्वार लोकसभा से चुनाव लडने का दावा करने वाली भावना पाण्डे परेशान बच्चों की कहानी सुनकर उनके साथ वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक कार्यालय पहुंची। लेकिन यहां भी बच्चे और समाजसेवी एक घण्टे से अधिक समय तक एसएसपी कार्यालय के बाहर खडे अपनी बारी आने का इंतजार करते रहे। एसएसपी से मुलाकात की पर यहां पर भी उनको इंसाफ नहीं मिला। क्योंकि मामला शिक्षा अधिकारी से संबंधित था। तब तक बच्चों की शिक्षा जहां अधर में अटक गई है। अपनी शिक्षा के अधिकार की लडाई के लिए घण्टों जिला मुख्यालय की खाक छान कर थके हारे बच्चों को समजसेवी भावना पाण्डे ने इंदिरा अम्मा भोजनालय ले जाकर उन्हें खाना खिलाकर और उनकी लडाई को निष्कर्ष तक पहुंचाने का आश्वासन भी दिया। भावना पाण्डे ने मौके पर मौजूद मीडिया कर्मियो को बताया कि पढ$ने वाले बच्चें अपनी पढाई के लिए सरकारी दफतरो की खाक छान रहे है और सरकार बेटी बचाओ बेटी पढाओ का नारा दे रही है। जबकी सच्चाई आज सबके सामने आ गई है। बच्चे अपने शिक्षा के अधिकार के लिए जिलाधिकारी के पास गये वह नही मिले। शिक्षा अधिकारी के पास गये वहां तीन अधिकारियो में से कोई भी मौजूद नही था।
एसएसपी के यहां उनके कार्यालय में भाजपा के एक जिलाध्यक्ष एक घण्टे से भी अधिक समय तक उन्हें घेर कर बैठे रहे और स्कूली बच्चे और अन्य लोग बाहर घण्टो इंतजार करते हरे। उन्होंने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि सरकार पूरी तरह विफ ल साबित हो रही है, जिस प्रदेश में बच्चें अपने अधिकार से वचिंत हो वहां निरंकुशता ही नजर आती है। आने वाली बोर्ड परीक्षा में भी उनको बैठने से वंचित रहना पड$ सकता है। अब देखना होगा कि इन बच्चों का भविष्य क्या होगा। राज्य आंदोलनकारी भावना पांडे जो उनके साथ जुड गई हैं क्या वो उनको इंसाफ दिला पाएंगी। एसे में बच्चों का कहना है कि स्कूल प्रबंधन उनके साथ गाली गलौच करता है और फीस भी मांग रहा है। जब अभिभावक उनसे बात करने पहुंचते हैं तो उनके साथ मारपीट भी करता है। यहां बडा सवाल यह खडा होता है कि स्कूल प्रबंधन के खिलाफ अभी तक भी कोई कार्रवाई क्यों नहीं हो पाई।