हरिद्वार।
पतंजलि योगपीठ ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष और संस्थापक सदस्य स्वामी मुक्तानंद महाराज का शनिवार कनखल श्मशान घाट में वैदिक विधि विधान के साथ अंतिम संस्कार किया गया। उनकी चिता को योग गुरु स्वामी रामदेव आचार्य बालकृष्ण और अन्य साधु संतों ने मुखाग्नि दी। उनका निधन बीती रात हो गया था।
उनकी अंतिम यात्रा दिव्य योग मंदिर कनखल से शाम 4बजे कनखल श्मशान घाट के लिए शुरू हुई। जगह-जगह लोगों ने अपने जनप्रिय संत की अंतिम यात्रा में पुष्प वर्षा कर श्रद्धांजलि अर्पित की। आज सुबह उनकी पार्थिव देह दिव्य योग मंदिर कनखल के सभागार में दर्शनार्थ रखी गई थी। लोगों ने उन्हें अश्रुपूरित नेत्रों से श्रद्धांजलि अर्पित की। उनके अंतिम संस्कार में जन सैलाब उमड पडा। वे अत्यंत लोकप्रिय संत थे। स्वामी मुक्तानंद का शुक्रवार की देर रात 9:30 बजे के करीब हृदय गति रुकने से निधन हो गया था।
श्मशान घाट कनखल में उनके अंतिम संस्कार में श्री पंच दशनाम जूना अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरी, परमार्थ निकेतन ऋषिकेश के अध्यक्ष स्वामी चिदानंद मुनि, अखाड़ा परिषद के महामंत्री श्री महंत राजेंद्र दास, गुरुकुल चोटीपुरा मुरादाबाद की आचार्य बहन सुमेधा, श्री पंचायती उदासीन अखाड़ा के प्रमुख महंत रघु मुनि महाराज ,महंत दामोदर दास महाराज, महानिर्वाणी पंचायती अखाड़ा के सचिव महंत रवींद्र पुरी, पूर्व कैबिनेट मंत्री स्वामी यतिश्वरानंद, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक, पूर्व विधायक संजय गुप्ता, भाजपा नेता विमल कुमार, निर्मल पंचायती अखाड़ा के कोठारी महंत जसविंदर सिंह ,श्री निर्मल संत पुरा के अध्यक्ष महंत जगजीत सिंह, स्वामी संपूर्णानंद महाराज, महंत mmm, अखिल भारतीय युवा भारत साधु समाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिवानंद महाराज, डाक्टर स्वामी हरिहरानंद, स्वामी रवि देव, महंत केशवानंद, महंत दिनेश दास, स्वामी आनंद, महंत कृष्णागिरी, महंत सुरेश दास,महंत प्रेमदास, महंत रविंद्रानंद, महंत बसंत मुनि, बाबा हठयोगी, महंत दुर्गादास, पतंजलि मेगा फूड पार्क के सीएमडी राम भरत ,डा जयदेव, उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति महावीर अग्रवाल, पतंजलि योगपीठ के उपाध्यक्ष ललित मोहन,तरुण राजपूत,मेगा फूड पार्क पतंजलि के महाप्रबंधक वाय डी आर्य आदि ने श्रद्धांजलि अर्पित की।
उनको याद करते हुए स्वामी रामदेव भावुक हो गए और कहा कि मेरा जीवन उनके उपकारों से भरा हुआ था और उनके इतनी जल्दी चले जाने का उन्हें विश्वास नहीं हो रहा है कि वे हमारे बीच में नहीं है। उन्होंने हमें जो प्रेम और आशीष दिया वह कभी नहीं भुला सकते। वह हमारे संरक्षक थे। वे सच्चे अर्थों में सन्यासी जीवन को व्यतीत कर रहे थे। स्वामी रामदेव ने कहा कि पतंजलि उन्हें सबसे बड़ा मानती है परंतु वे व्यक्तिगत रूप से सबसे बड़ा स्वामी मुक्तानंद को मानते थे। उनका आशीष प्यार कभी भुलाया नहीं जा सकता। उनका सपना पतंजलि को शीर्ष पर पहुंचाने का था जो उनके सामने पूरा हुआ।
स्वामी संपूर्णानंद महाराज ने कहा कि वे कटु सत्य बोलते थे और बड़ी ही विनम्रता से अपनी बात कहते थे। बाबा हठयोगी ने कहा कि वे ऐसे संत थे जो भौतिकता बाद से कोसों दूर थे। स्वामी चिदानंद मुनि ने कहा कि उनका जीवन सादगी पूर्ण जीवन था और वे संतो के सच्चे प्रतिनिधि थे। आचार्य बालष्ण ने कहा कि उनका जीवन हम सब को प्रेरित करता रहेगा वह एक मस्त मौला संत थे। स्वामी मुक्तानंद जी का चले जाना है पतंजलि के लिए अपूरणीय क्षति है। उन्होंने कहा कि मेरे लिए यह व्यक्तिगत क्षति है। अब मुझे सुबह आकर कौन एक पिता की तरह और मां की तरह पूछेगा। श्री जूना पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि ने कहा कि वे पुरुषार्थ सेवा विनम्रता सद्भाव और ममता की प्रतिमूर्ति थे। उन्होंने कहा कि वे पतंजलि योगपीठ के बहुत बडा स्तंभ थे। अन्य संतों ने भी श्रद्धांजलि अर्पित की।