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गोवर्धन की पूजा, परिक्रमा और दर्शन से नष्ट होते हैं समस्त पाप पवन कृष्ण शास्त्री
हरिद्वार।
आर्यनगर ज्वालापुर में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के पांचवे दिन श्रद्धालुओं को कथा श्रवण कराते हुए भागवताचार्य पंडित पवन कृष्ण शास्त्री ने ब्रज मंडल में स्थित गोवर्धन की महिमा का वर्णन करते हुए बताया कि एक बार पुलस्त्य मुनि भ्रमण करते हुए द्रोणाचल पर्वत पर जा पहुंचे तो द्रोणाचल पर्वत के पुत्र गोवर्धन पर्वत को देख कर के उनके मन में विचार आया कि गोवर्धन को काशी नगरी ले जाकर स्थापित किया। द्रोणाचल पर्वत एवं गोवर्धन पर्वत दोनों ने विचार किया यदि पुलस्त्य मुनि की आज्ञा का पालन नहीं किया तो मुनि श्राप दे देंगे। गोवर्धन ने पुलस्त्य मुनि के सामने शर्त रखी कि आप जहां भी मुझे स्थापित करोगे मैं वहां से आगे नहीं बढूंगा। पुलस्त्य मुनि ने गोवर्धन की इस शर्त को स्वीकार करके अपनी हथेली के ऊपर उसे धारण किया और आकाश मार्ग से काशी नगरी के लिए प्रस्थान किया। गोवर्धन ने जब ब्रज मंडल को देखा तो स्मरण आया कि यहां पर मेरे प्रभु श्री कृष्ण का प्राकट्य होने वाला है। मुझे कृष्ण लीला में सम्मिलित होना है। गोवर्धन ने अपना वजन बढ$ाया पुलस्त्य मुनि शर्त को भूल गए और गोवर्धन को नीचे रखकर विश्राम करने लगे। विश्राम करने के बाद जब उन्होंने गोवर्धन को उठाना चाहा तो गोवर्धन नहीं उठे। गोवर्धन ने कहा कि आपके और हमारे बीच जो शर्त हुई थी। उसको याद कीजिए शर्त के अनुसार अब मैं यहीं रहूंगा। यह सुनकर पुलस्त्य मुनि को क्रोध आ गया और गोवर्धन को श्राप दिया कि आज से तुम प्रतिदिन तिल—तिल घटते जाआेगे। जिस दिन तुम्हारा अस्तित्व मिट जाएगा। उसी दिन महाप्रलय होगा। तभी से गोवर्धन प्रतिदिन तिल—तिल घट रहे है।ं गोवर्धन का यह समर्पण देखकर स्वयं भगवान श्रीकृष्ण ने गोवर्धन का पूजन किया और सभी ब्रज वासियों से गोवर्धन का पूजन कराया। भगवान श्री कृष्ण ने कहा कि जो भी गोवर्धन का पूजन, परिक्रमा गोवर्धन और दर्शन करेगा। उसके समस्त पाप नष्ट हो जाएंगे और वह वैकुंठ लोक का अधिकारी बन जाएगा। देवराज इंद्र ने भी गोवर्धन का पूजन एवं गोवर्धन की परिक्रमा की। इस अवसर पर मुख्य यजमान संध्या गुप्ता, प्रवीण गुप्ता, वसुधा गुप्ता, तुषार सिंघल, वन्या सिंघल, युवान सिंघल, विष्णु प्रसाद सर्राफ, उपेंद्र कुमार गुप्ता, प्रमोद कुमार गुप्ता, शशिकांत गुप्ता, अमित गुप्ता, अश्विनी गुप्ता, राजीव लोचन गुप्ता, कुणाल गौतम, वरुण सैनी, भावेश पंडित आदि ने भागवत पूजन किया।