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योग क्रांति के बाद अब पंच क्रांतियों का होगा शंखनाद: स्वामी रामदेव

-आगामी पाँच वर्षों में 5 लाख विद्यालयों को भारतीय शिक्षा बोर्ड से जोड़ने का लक्ष्य
-पहले भारतवर्ष में और फिर पूूरी दुनियां में नई शिक्षा व्यवस्था का शंखनाद करेंगे और उसका नेतृत्व भारत करेगा
-बच्चों को केवल शब्दबोध नहीं कराना है, शब्दबोध के साथ विषयबोध, आत्मबोध, सत्यपरक भारतबोध व अपने गौरव का बोध भी कराना है
-अभी तक पतंजलि 1 लाख करोड से ज्यादा की चैरिटी कर चुका है
-50 करोड से ज्यादा दुनियां के लोग योग धर्म, सनातन धर्म में श्रद्धा रखते हैं

हरिद्वार।
पतंजलि योगपीठ के परमाध्यक्ष स्वामी रामदेव महाराज व महामंत्री आचार्य बालकृष्ण की उपस्थित में पतंजलि संस्थान का 30 वाँ स्थापना दिवस पतंजलि वैलनेस, हरिद्वार स्थित योग भवन सभागार में सम्पन्न हुआ। कार्यक्रम में देशभर के पतंजलि योगपीठ संगठन के छह हजार से अधिक प्रभारीगणों की उपस्थिति में स्वामी रामदेव महाराज ने विगत 3 वर्षों की सेवा, संघर्ष व साधना से परिचय कराया तथा पतंजलि योगपीठ की भावी योजनाओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने योग क्रांति की सफलता के बाद पंच क्रांतियों का शंखनाद करते हुए कहा कि शिक्षा, चिकित्सा, आर्थिक, वैचारिक-सांस्कृतिक व रोगों-भोगों-ग्लानि—कुण्ठाआें से आजादी का बड़ा कार्य पतंजलि से प्रारंभ करना है।
पहली क्रांति शिक्षा की आजादी— उन्होंने कहा कि आज 5 से 9 और कहीं-कहीं तो 99 प्रतिशत पढ$े—लिखे बेरोजगार, नशेड़ी, चरित्रहीन निस्तेज बच्चे तैयार हैं। जिनका बचपन, यौवन और हमारा कुल वंश खतरे में है। हमनें यह तय किया है कि पहले भारतवर्ष में और फिर पूूरी दुनियां में नई शिक्षा व्यवस्था का शंखनाद करेंगे और उसका नेतृत्व भारत करेगा। पतंजलि गुरुकुलम, आचार्यकुलम, पतंजलि विश्वविद्यालय और भारतीय शिक्षा बोर्ड अब नये प्रतिमान गढ$ेंगे। हमारा संकल्प है कि हम आगामी पाँच वर्षों में पांच लाख विद्यालयों को भारतीय शिक्षा बोर्ड से जोड$ेगें। ये शिक्षा की अभिनव क्रांति होगी।
हमें बच्चों को केवल शब्दबोध नहीं कराना है, शब्दबोध के साथ विषय बोध, आत्मबोध, सत्यपरक भारत बोध व अपने गौरव का बोध कराना है। हम हिन्दी, अंग्रेेजी व संस्कृत में पूरे विश्व की जानकारियों का समावेश करेंगे, पूरे विश्व के साथ अपडेट रखेंगे। लेकिन उसमें भी 8 प्रतिशत कन्टेंट वेद, दर्शन, उपनिषद, पुराणों का होगा, भारत के गौरव का होगा। उसमें अध्यात्म विद्या होगी, सनातन बोध होगा, भारत बोध होगा। यह मैकाले का एजुकेशन सिस्टम नहीं है। जब भारतीय शिक्षा बोर्ड से पहले एक लाख और बाद में पांच लाख स्कूल एफिलिएटिड हो जाएंगे तो भारत का बचपन और यौवन सुरक्षित हो जाएगा, यही शिक्षा की आजादी का संकल्प है। हम भारतीय शिक्षा बोर्ड के माध्यम से विदेशी आक्रमणकारियों, अकबर, औरंगजेब या अंग्रेजों की झूठी महानता नहीं बल्कि छत्रपति शिवाजी महाराज, महाराणा प्रताप व क्रांतिकारियों का सच्चा इतिहास पढ$ाएंगे।
दूसरी क्रांति चिकित्सा की आजादी— रोग हमारा स्वभाव नहीं, योग ही हमारा स्वभाव है। आज पूरी दुनिया में सिंथेटिक दवा, अलग—अलग प्रकार स्टेरायड, पेन किलर इत्यादि खा—खाकर लोगों के शरीर खराब हो रहे हैं। चिकित्सा की आजादी के लिए पतंजलि वैलनेस, योगग्राम, निरामयम, चिकित्सालयों एवं आरोग्य केन्द्रों से लेकर, आधुनिक रिसर्च के माध्यम से ऋषियों की विरासत और विज्ञान को लेकर हम आगे बढ$ रहे हैं। हमने पांच हजार से अधिक रिसर्च प्रोटोकॉल व पांच सौ से अधिक रिसर्च पेपर्स वर्ल्ड क्लास इंटरनेशनल जर्नल्स में पब्लिश करके असाध्य रोगों से मुक्ति का मार्ग दुनिया के सामने रखा है। हमारा संकल्प है कि हम लोगों को रोगी होने से बचाएंगे भी और रोग होने के बाद उन रोगों से योग—आयुर्वेद के माध्यम से लोगों को मुक्ति दिलाएगे। तीसरी क्रांति आर्थिक आजादी— आज पूरी दुनिया में कुछ चंद मु_ी भर लोगों ने अपने क्रूर पंजों में पूरे अर्थतंत्र को जकड$ रखा है। हमारा लक्ष्य है समृद्धि सेवा के लिए व अर्थ परमार्थ के लिए। अभी तक पतंजलि ने शिक्षा, स्वास्थ्य, अनुसंधान, चरित्र निर्माण, राष्ट्र निर्माण आदि में एक लाख करोड$ रुपए की चैरिटी की है। 1 हजार से अधिक सेंटर्स के साथ 25 लाख से अधिक प्रशिक्षित योग शिक्षकों तथा एक करोड$ कार्यकर्ताओं की निस्वार्थ सेवा से यह सब राष्ट्र निर्माण व चरित्र निर्माण का सेवा कार्य हो रहा है। हमारा संकल्प है कि स्वदेशी का आंदोलन इतना बड़ा खड$ा हो कि आर्थिक लूट, गुलामी और दरिद्रता से भारत निकले तभी भारत परम वैभवशाली बनेगा। बीपी, शुगर, थायराइड, अस्थमा, आर्थराइटिस, स्ट्रैस, डिप्रेशन, नींद आदि बीमारियों की गोलियां छुडवाकर हम देश के प्रतिवर्ष 10 से 20 लाख करोड रुपए बचाते हैं। चौथी क्रांति वैचारिक और सांस्कृतिक आजादी— जिस भारत ने पूरी दुनिया को सर्वप्रथम संस्कृत विश्वास का संदेश दिया वो भारत यदि वैचारिक और सांस्कृतिक गुलामी से गुजरे तो ठीक नहीं। आज भारतवर्ष हर बात पर दुनिया के उन दरिद्र देशों पर निर्भर रहता है जिनके पास केवल चंद कागज के टुकड़े, चंद डॉलर्स या पाउंड्स हैं। सच्चा व असली धन केवल पैसा नहीं है अपितु अच्छा स्वास्थ्य, सुखी घर-परिवार व चरित्र, योगधन व दैवीय सम्पद ही सच्चा धन है। हमें वैचारिक और सांस्कृतिक गुलामी से भारत को मुक्ति दिलानी है। इसलिए हम कहते हैं कि हमें इस सनातन धर्म को, वेदधर्म को, ऋषि धर्म को, योगधर्म को युगधर्म के रूप में बढाना है। दुनियां के 50 करोड से ज्यादा लोग योग धर्म, सनातन धर्म में श्रद्धा रखते हैं। सब मिलकर साथ चलेंगे तो पूरी दुनिया से रिलिजियस टैरेरिज्म, पॉलिटिकल टैरेरिज्म और ये शिक्षा व चिकित्सा के नाम पर चल रहा आतंकवाद खत्म होगा।
पांचवी क्रांति नशा, रोग—भोग वासना से आजादी— दुनियां में चारों तरफ नशे का खतरनाक खेल चल रहा है। भारत में नशे के दलदल में धंसकर रोग, नशा व अश्लीलता में लोगों के जीवन तबाह हो रहा है। रोग, नशा, अश्लीलता से आजादी का हमारा संकल्प है। पतंजलि के 3 वर्ष पूर्ण होने पर यही है हमारा संकल्प, कि हम पूरे विश्व को योगमय बनायेंगे, चरित्र निर्माण करके आदर्श विश्व नागरिकों का निर्माण करेंगे। कार्यक्रम में आचार्य बालकृष्ण महाराज ने कहा कि श्रद्धेय स्वामी जी के अखण्ड प्रचण्ड पुरुषार्थ से पतंजलि का योगदान आज पूरी दुनिया को प्रेरणा दे रहा है। पतंजलि में लोगों को स्वास्थ्य देने के लिए अर्थ से परमार्थ का अभियान चलाया है। पतंजलि का 10 प्रतिशत प्रॉफिट केवल चैरिटी के लिए है। पतंजलि के लिए भारत एक बाजार नहीं बल्कि परिवार है। पतंजलि में 50 से अधिक विश्व स्तरीय वैज्ञानिकों की टीम लगातार रिसर्च करके रोगानुसार विविध प्रकार के रस, क्वाथ, वटियां, कैप्सूल, व्हीट ग्रास, एलोवेरा जूस, आंवला जूस, नीम रस, गिलोय रस आदि रिसर्च एवं एविडेंस बेस्ड दवाइयां पूरी दुनिया को उपलब्ध करा रहे हैं। भारत की प्राचीन ज्ञान परम्परा को आधुनिक विज्ञान का प्रयोग करके जन—जन तक पहुंचाने का कार्य भी सर्वप्रथम पतंजलि ने ही किया है। आज पतंजलि ने दुनिया के 20 देशों में करोड$ों लोगों तक योग को गुफाओं व कन्दराओं से निकालकर जन—जन तक पहुंचाया है।

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