सर्किल रोड के नीचे दब गई सिंचाई विभाग की गूले
हरिद्वार।
विकास के पथ पर तेजी से बढती धर्मनगरी उत्तराखंड के बडे शहरों में तो शुमार हो गई, परंतु विकास के तेज कदमों के नीचे धर्म नगरी के खेत बाग और अब उनको सींचने वाली सिंचाई विभाग की गूले भी दम तोड रही हैं। हरिद्वार में सर्किल रोड बनने की जितनी खुशी क्षेत्र के ग्रामीण लोगों को है क्योंकि इससे उनकी जमीनों की कीमत आसमान छूने लगी है, लेकिन इससे अलग इस विकास के रास्ते में नीचे सिंचाई विभाग की गूलें भी कुछ लील जा रही है। सर्किल रोड बनाने वाले नेशनल हाईवे आथरिटी के मानचित्रों में गूलों का कहीं कोई स्थान नहीं दिया गया। जिसके चलते अब सिंचाई विभाग के अधिकारी सर्किल रोड के नीचे आने वाली अपनी गूलों को ढूंढते और बचाने के लिए जद्दोजहद कर रहे हैं। सहायक अभियंता राजीव सोनी ने बताया कि विभागीय राजस्व अधिकारियों को जिम्मेदारी दी गई है जो अथॉरिटी के अधिकारियों से संपर्क कर सिंचाई विभाग की गुल को चिन्हित कर उन्हें बचाने के लिए निरीक्षण कर रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि नेशनल हाईवे 58 जिसे हरिद्वार की लाइफ लाइन के रूप में जाना जा रहा है, शहर के बीचो बीच संजय गांधी सिल्ट नहर के निकट से निकलने वाली वह गूल जो वर्षों से देवी माता के 5२ शक्तिपीठों के उद्गम स्थल सतीकुंड में गंगा का जल लेकर जाती थी का मुहाना तोड$कर हाईवे बना दिया। यह गूल केवल सती कुंड कि नहीं बल्कि जगजीतपुर कनखल मिस्सरपुर अजीतपुर कटार पुर तक और उससे आगे के गांव में भी बागों और खेतों की सिंचाई के लिए गंग नहर से जल लेकर जाती थी।
इस संबंध में 2019 में उत्तराखंड हाई कोर्ट के आदेश पर सिंचाई विभाग द्वारा सतीकुंड में जल का प्रवाह दिखाकर फोटो खींचकर कोर्ट को दी गई थी। उसके बाद नेशनल हाईवे ने इस भूल का मुहाना ही खत्म कर दिया। विभाग की लापरवाही यह रही कि उसने भी कभी अपनी इस गूल की कोई सुध नहीं ली, जबकि उच्च न्यायालय को यह दर्शाया गया था सतीकुंड में गूल के माध्यम से जल का प्रवाह किया जा रहा है। जबकि सच्चाई इससे इतर है। गुल का मुहाना टूटने के बाद उसकी कोई देखरेख नहीं की गई। जिसके चलते विकास की रफ्तार के नीचे पौराणिक यज्ञ कुंड सती कुंड तक गंगा जल ले जाने वाली गूल ने दम तोड दिया।