पीएम नरेंद्र मोदी के चाणक्य कहे जाने वाले अमित शाह ने पहली बार 2014 के लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश की चुनावी रणनीति का जिम्मा उठाया था। तब वह गुजरात के एक नेता के तौर पर ही अपनी पहचान रखते थे, लेकिन जब नतीजों में 80 में से 73 सीटें भाजपा के हाथ लगीं तो उनका नया नामकरण भाजपा के ‘चाणक्य’ के तौर पर हुआ। कोई उन्हें चुनाव जिताने वाली मशीन मानता है तो कोई जनता की नब्ज पकड़ने वाला राजनेता, लेकिन यह तो तय है कि अमित शाह चुनावी रणनीति के माहिर खिलाड़ी हैं। इस बार के उत्तर प्रदेश चुनाव में पार्टी ने प्रभारी के तौर पर केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान को भेजा है, लेकिन पर्दे के पीछे अमित शाह सक्रिय हैं।
भले ही अमित शाह के उत्तर प्रदेश के दौरे 2014 और 2017 के मुकाबले कुछ कम हैं, लेकिन दिल्ली से ही वह यूपी की रणनीति तय करने में जुटे हैं। अपना दल और निषाद पार्टी के साथ गठबंधन की ही बात करें तो वह अमित शाह ही हैं, जो करीब 10 दिनों से दोनों दलों को साधने में जुटे हैं। एक वक्त पर अनुप्रिया पटेल के भाजपा से अलग राह अपनाने के कयास भी लगे थे, लेकिन आज जिस तरह से उन्होंने भाजपा की तारीफों के पुल बांधे उससे साफ था कि गठबंधन की गांठ मजबूत है। बीते सप्ताह अमित शाह ने अनुप्रिया पटेल और संजय निषाद के साथ लगातार कई बैठकें कीं और सीटों पर चर्चा की।