हरिद्वार।
उपभोक्ता आयोग ने हेल्थ बीमा पालिसी पर सुनवाई करते हुए विपक्षी रेलिगेयर हेल्थ इंश्योरेंस द्वारा प्रभारी अधिकारी को आदेश दिया कि वह आदेश की तिथि के एक माह के अंदर शिकायतकर्ता को इलाज में खर्च हुई धनराशि 2,07,61297 (दो लाख सात हजार छ सौ बारह रुपए सत्तानवे पैसे ) रुपए का भुगतान 6प्रतिशत वार्षिक ब्याज की दर से वाद योजित करने की तिथि से अंतिम अदायगी तक अदा करें। साथ ही क्षतिपूर्ति के रूप में 25 हजार रुपये व अधिवक्ता फीस के रूप में 10 हजार रुपए अलग से शिकायतकर्ता को अदा करें। शिकायतकर्ता संजीव सिंघल पुत्र आेमप्रकाश सिंगल निवासी गणेशपुर रेलवे रोड रुडकी ने विपक्षी रेलिगेयर हेल्थ इंश्योरेंस द्वारा प्रभारी अधिकारी रेलीगेयर हेल्थ इंश्योरेंस विपुल टेक सयर टावर सी थर्ड फ्लोर गोल्फ कोर्स रोड सेक्टर- 43 गुरुग्राम हरियाणा के खिलाफ जिला उपभोक्ता आयोग में शिकायत दर्ज कराई। शिकायतकर्ता का कहना था कि उसने वर्ष 2017 में स्टार हेल्थ एंड एलाइड इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड से अपना व अपने परिवार का स्वास्थ्य बीमा कराया था। जिसे बाद में विपक्षी के यहां पोर्ट करा लिया था। तब से शिकायतकर्ता की हेल्थ बीमा पालिसी विपक्षी के चली आ रही है। शिकायतकर्ता ने विपक्षी के से 2018—19 वर्ष के लिए जारी की गई हेल्थ पालिसी के तहत आईटीपी बीमारी के बाबत बीमा क्लेम प्राप्त किया था। वर्ष 2018—19 में ही बीमा क्लेम आवेदन के साथ परिवादी द्वारा अपने क्लिनिकल हिस्ट्री भी उपलब्ध कराई थी। उसके बाद ही विपक्षी ने परिवादी को वर्ष 2018—19 का बीमा क्लेम कैशलेस के रूप में स्वीकार कर अंकन 75,073 बीमा क्लेम के रूप में परिवादी के हास्पिटल को अदा किए थे। परिवादी ने उक्त पालिसी वर्ष 2019 के लिए ली थी। दिनांक 27 जून 2019 को निर्धारित प्रीमियम अंकन 15,591 विपक्षी को अदा करके अपने व अपने परिवार जिसमें स्वयं व पुत्र पत्नी व पुत्री शामिल थे का बीमा कराया था। उक्त पलिसी की वैधता 27—6—2019 से 26—6—2020 तक वैध थी और प्रत्येक का बीमा 5 लाख निर्धारित किया गया था। उक्त अवधि में परिवादी आईटीपी बीमारी जो खून की प्लेटलेट कम होने से संबंध है से ग्रसित हो गया। शिकायतकर्ता ने 4 अक्टूबर 2020 को अपना चेकअप कराया और डाक्टर के परामर्श से अपना उपचार वेदांता हास्पिटल गुरुग्राम में 5 अक्टूबर 2020 से भर्ती होकर 14 अक्टूबर 2020 तक कराया। जिसमें शिकायतकर्ता का करीब 2,07,612.98 रूपए का खर्च आया। जिसके कैशलेस भुगतान हेतु शिकायतकर्ता ने विपक्षी बीमा कंपनी से संपर्क किया और अस्पताल द्वारा उपलब्ध कराए गए सभी प्रपत्र को विपक्षी को उपलब्ध कराने के बावजूद भी उनके द्वारा शिकायतकर्ता को कैशलेस भुगतान प्राप्त नहीं कराया गया और ना ही शिकायतकर्ता के बीमा क्लेम पर कोई संज्ञान लिया गया। बल्कि उसका बीमा क्लेम यह कहते हुए रिजेक्ट कर दिया कि शिकायतकर्ता द्वारा आईटीपी बीमारी डिस्कलाज नहीं की गई थी। जबकि शिकायतकर्ता पूर्व में इस बीमारी से संबंध में भुगतान प्राप्त कर चुका था। शिकायतकर्ता ने इस संबंध में विपक्षी गणों को बहुत समझाया परंतु कोई सुनवाई ना होने के पर शिकायतकर्ता ने उपभोक्ता आयोग की शरण ली। मामले की सुनवाई करते हुए आयोग के अध्यक्ष कंवर सेन सदस्य अंजना चड्ढा वह विपिन कुमार ने शिकायतकर्ता की शिकायत पर सुनवाई करते हुए विपक्षी हेल्थ बीमा कंपनी को आदेश दिया कि वह आदेश की तिथि के 1 माह के अंदर शिकायतकर्ता को इलाज में खर्च की धनराशि 2,07,612.97 का भुगतान 6प्रतिशत वार्षिक ब्याज की दर से वाद योजित करने की तिथि से अंतिम अदायगी तक अदा करें साथ ही क्षतिपूर्ति के रूप में 25 हजार रुपए व अधिवक्ता फीस के रूप में 10 हजार रुपए का भुगतान अलग से करें।